क्या आपने कभी सोचा है कि क्या ज़ॉम्बी वायरस वास्तविकता में मौजूद हो सकता है? क्या ऐसा कुछ संभव हो सकता है जहां मरे हुए लोग ज़िंदा हो जाते हैं और उन्हें दिमाग़ी तनाव या प्रवृत्ति में परिवर्तन हो जाता है? यह सवाल अक्सर फ़िल्मों, किताबों और मनोरंजन के क्षेत्र में उभरता है। इस लेख में, हम ज़ॉम्बी वायरस के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे और जांचेंगे कि यह कितना वास्तविक हो सकता है या फिर केवल मानवीय कल्पना का ही हिस्सा है। ज़ॉम्बी वायरस: वास्तविकता या मिथक? ज़ॉम्बी वायरस एक ऐसी कल्पना है जिसमें लोग मृतकों के रूप में जीवित हो जाते हैं और अवसादीय तत्वों के प्रभाव में आकर्षित हो जाते हैं। वायरस के कारण, उनका शरीर जीवित होते रहता है, लेकिन उनकी मानसिक या विचारशक्ति परिवर्तित हो जाती है। ज़ॉम्बी वायरस के बारे में बहुत सारी कहानियाँ, फ़िल्में और टीवी शोज़ में दिखाए जाते हैं, जिससे लोगों के दिमाग़ में इसकी वास्तविकता का सवाल उठता है। हालांकि, यद्यपि यह विचित्र और रोमांचकर दिख सकता है, ज़ॉम्बी वायरस का वास्तविक होना वैज्ञानिक और मेडिकल संदर्भों में कोई विद्यमानता नहीं है। वायरस के द्वारा मरे